Saturday 30 May 2020

आगाज़

Book Review 



किताब - आगाज़
कवि - बसाबा दत्ता
रेटिंग - 4.8⭐

'आगाज़', बसाबा दत्ता द्वारा लिखित एक काव्य संग्रह है। 
बसाबा की कवितायें सीधे दिल से दिल तक जाती है। उनकी भाषा शैली बहुत ही सरल और प्रभावशाली है। बीच-बीच में उर्दू का तड़का इसको और ज़्यादा मोहक बनाता है। 
बात करे अगर किताब के शीर्षक और कवर पेज की तो दोनों बेहतरीन और दमदार है।

इस काव्य संग्रह में कुल 46 कविताएं शामिल है जोकि कई विषयों के बारे में है जैसे नारी, बचपन, दोस्ती, प्यार, ज़िंदगी तथा अन्य कई छोटे-बड़े मुद्दों पर कवि ने अपने विचार व्यक्त किये है। किताब की सुंदरता को महसूस करने के लिए किसी ठंडी शाम, बारिश का मौसम या फिर खास समय की ज़रूरत नहीं है। आप इसे जिस भी पहर पढ़ेंगे आप इसकी खूबसूरती को महसूस कर पाएंगे। कवि बसाबा ने शब्दों को इस ढंग में पिरोया है कि आप एक कविता पढ़ने के बाद आपको और ज़्यादा पढ़ने का मन करेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपने कब यह किताब ख़त्म भी कर दी। 
बसाबा की लेखनी व कलम वाक्य ही कमाल की है, उनकी अगली किताब का इंतजार बेसब्री से है।

वैसे सभी कविताएं बेहद खूबसूरत और दिल को छूने वाली है तो यह कहना बड़ा ही मुश्किल है कि सबसे अच्छी कविता कौनसी है मगर फिर भी उन सब में से जो मुझे सर्वश्रेष्ठ लगी वो ये है:
यादों की किताब
तन्हाई
मैं वक़्त हूँ
मुलाक़ात
यारी
आशिक़ का जनाज़ा

कुछ पंक्तियां जो एक बार में ही मेरी दिल की गहराई तक गई।
"पत्ता पत्ता ज़िंदगी का, जोड़ के बना था जो आशियाँ, बहुत दर्द होता है देखकर, टूट के बिखरता यहाँ वहाँ। "

अगर आप भी शौकिन है हिन्दी कविताओं के तो यह खूबसूरत किताब आपके लिए है, बिना किसी देर के इस को उठा लीजिये। 



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